Monday, November 10, 2014

"मोदी" - समझने के लिए सीमाएं जरुरी

नरेंद्र मोदी , एक ऐसा नाम जिसे समझने में बहुत से लोगो ने बहुत जल्दी करी और उस समझ को अपने पास रख लिया, कुछ ने दूर से समझा,कुछ ने समझने के बाद उसे नासमझने का भरपूर प्रयास किया और कुछ ने समझने का प्रयास ही नहीं किया!

एक प्रयास किया है नरेंद्र मोदी या कहें किसी को भी परखने के लिए "समझ की सीमाएं" खींचने का! बादलों , समंदर और पर्वतों के द्वारा ! 

नारंगी बादलों की टोली देखी! 
काला,सफ़ेद,भूरा बादल आज नारंगी रंग में मदमस्त झूम रहा है! 
शायद परेशान है शायद खुश!
किसे पता? 
सिर्फ चेहरा ही, पहचान नहीं होता !

समंदर की लहरें,आज कुछ ज्यादा गुस्से में थी,
वापसी में कुछ मोती छोड़ के गयी थी!
शायद नाराज़ थी शायद प्यार में,
किसे पता?
कुछ पल का हिसाब ही , अंजाम नहीं होता!

दूर से नज़र पहाड़ पे पड़ी,कठोर विशाल, भयानक!

लेकिन मिट्टी,पेड़, झरना और फूल सब कुछ समेटे हुए
शायद बाहर से कठोर ,शायद अंदर से मुलायम?

किसे पता?
पत्थर हमेशा कठोरता का प्रमाण नहीं होता !


सिर्फ चेहरा ही, पहचान नहीं होता !



कभी देखने में दिक्कत हो तो जरुरी नहीं कि नज़र ही ख़राब हो , आईने में धूल भी जमी हो सकती है!

- रोहित जोशी





Wednesday, November 5, 2014

स्वच्छ भारत मिशन - सपना या हकीक़त !

स्वच्छ भारत मिशन शुरू हुए बहुत दिन हुए, बहुत कम समय लगा इस मिशन को समझने में लेकिन बहुत ज्यादा समय लगेगा इस मिशन को हकीकत बनते देखने में! मिशन शुरू हुआ और सब में कुछ अजीब सा अटपटा सा सन्देश देता हुआ आगे बढ़ा कि भाई अब सफाई भी कर लो! आपके लिए ही कह रहे हैं!
जब कुछ लोगो को टीवी पे देखा तो ख्याल आया -
भाई गज़ब हुआ
चमत्कार हो गया
आज साल में दूसरी बार लोगो को
देश से प्यार हो गया!
( साल का एकमात्र प्यार बस 15 अगस्त को आता है और 16 अगस्त को चला जाता है!)

इसी बीच एक पढ़ी लिखी प्रजाति का मानुस से मैंने पूछा तो बोलता है कि
भाई अब सब कुछ साफ़ साफ़ रखुंगा
कसम देश की है
सफाई के पल पल का हिसाब रखुंगा!

मज़ा सा आ गया ऐसी बातें सुन के लेकिन तभी उसने डकार लेते हुए खाली lays का पैकेट का पत्थर बनाते हुए कूड़ेदान पे निशाना लगाया और अंडर हैंड थ्रो कर दिया ! निशाना लगाया तो जोंटी रोड्स समझ के लेकिन निशाना सरकारी योजनाओं की तरह सही दिशा से कोसो दूर मंजिल को बस दूर से देख के निकल गया!
अब वो lays का पैकेट उसे दूर से निहार रहा था , अपनी मजिल से दूर .और उसने ohh Shit!  कहते हुआ नजर बचायी और आगे बढ़ गया ! और बिना कुछ कहे सब कुछ कह गया !
मैंने तुरंत बोला - भाई अभी तो सफाई की कसम खायी थी , अब रसम कब निभाओगे ,
जवाब आया - पैकेट पास में ही तो पढ़ा है , अब और कितना करवाओगे ?

गज़ब ! अदभुत !

उसके शब्द मैं निःशब्द !

स्वच्छ भारत मिशन - वाह ! अभियान की शुरुवात कुछ वैसी ही थी जैसे सचिन ने अख्तर की पहली ही बॉल पे स्ट्रैट ड्राइव "डाबर लाल दंतमंजन चौका" दे मारा हो ! और वो सचिन की कातिलाना स्ट्रैट ड्राइव पोज़! गज़ब! और लगा मानो जनता ने सचिन सचिन के नारों से मैदान को ऐसा एलेक्ट्रिफाई कर दिया हो कि सैमसंग स्मार्ट फ़ोन भी २ मिनट में फुल चार्ज हो जाये और साथ में २ दिन बैटरी बैक अप वो भी इंटरनेट चालू रहते हुए ! बड़ा भोकाली माहौल था ! कसम कोबी भेड़िया की!

खैर स्वच्छता मिशन एक बहुत ही अच्छी सोच है लेकिन इसे पूरा किसे करना है ? सरकार को ? सफाई कर्मचारियों को ? या स्वच्छता चैलेंज लेके अच्छी सी फोटो ( अच्छी का अभिप्राय कूड़े के साथ वाली फोटो से है) खिचाने वाली हस्तियों को?
इनमे से किसी को भी नहीं ! यह काम हर किसी है ! आपका है! हमारा है ! हम सबका है!
यह मिशन एक सोच को दिल में बसाने से है ! खुद को अनुशाषित बनाने का है ! वक़्त लगेगा लेकिन एक दिन सोच बदलेगी जब सार्वजनिक संपत्ति को लोग अपनी और देश की संपत्ति कहेंगे!
जिस दिन यह सोच आएगी , भारत बदल जायेगा !


वन्दे मातरम!

रोहित जोशी