Thursday, December 17, 2015

प्रभु केजरीवाल का महाभारत अवतार



यह घटना उस समय की है जब "कलियुग" समाप्ति के बाद द्वापर युग का आरम्भ हुआ. महाभारत अत्यंत रोचक दौर से गुजर रहा था. सेनाएं कौरवों और पांडवों में बँट रही थी और पांडवों ने भगवान श्री कृष्ण को अपने खेमे में लेके आधा मैदान जीत लिया था. दुर्योधन के पास भगवान श्री कृष्ण की सेना थी और वो "बाबा जी की बूटी" वाले गाने को सीरियसली लेते हुए बूटी पिए हुए मस्त था. लेकिन शकुनि मामा ने सही समय पर दुर्योधन के आँखों में जमी हुई 'गुडगाँव की धूल 'साफ़ करी ,बूटी फेंकी और बोले " हे दुर्योधन प्रदुषण बढ़ गया है. गुडगाँव की धूल ने तुम्हारी आँखें बंद कर दी हैं  और लड़कियों ने तुम्हारी साँसे बंद कर दी हैं .गार्नियर मैन फेसवॉश से चेहरा धो के आओ और फिर युद्ध की रणनीति बनाते हैं."


दुर्योधन नें तुरंत एक "पत्निव्रता पति" की तरह आज्ञा का पालन किया और फेयर एंड हैंडसम होकर मामा के पास पहुँच गया. शकुनि मामा इंटरनेट के बहुत बड़े ज्ञानी थे और उन्हें प्रोक्सी सर्वर की 100 से भी ज्यादा साइट्स मुँह जबानी याद थी. उन्होंने द्वापर युग के भगवान श्री कृष्ण को मात देने के लिए कलियुग के युगपुरुष केजरीवाल जी सहायता लेने का मन बना लिया.

शकुनि मामा युगपुरुष को धरती पर लाने के उपाय गूगल में ढूंढने लगे. दुर्योधन ने जैसे ही युगपुरुष केजरीवाल जी के कारनामो के बारे में सुना उसने एक बार अपनी ही जगह पे घूम के "यू टर्न" लेके युगपुरुष को 'सहारा प्रणाम' किया और "आम आदमी ज़िंदाबाद" के पूरे तीन नारे लगाये.

गूगल के पहले 3 पेजों की सारी वेबसाइट छान मारी लेकिन भगवान केजरीवाल के जितने रूप उतने ही उनके धरती पर आने के उपाय. शकुनि मामा तो एकदम कन्फुजिया गए और दुर्योधन ने मन को शांत करने के लिए प्रभु केजरीवाल का ध्यान कर के "यही तो स्कैम है जी" का तीन बार अंतर्मन से उच्चारण किया.

अंत में दुःशासन की मदद ली गयी जो की वेब सर्फिंग का एक माहिर खिलाडी माना जाता था, लेकिन प्रभु केजरीवाल की लीला तो वो ही जानें. यकीन मानिये दुःशासन ने भी हार मान के टॉप 3 वेबसाइट में "आदा पादा" वाले मन्त्र से एक बेस्ट वेबसाइट का चुनाव किया. समस्या दूर हुई और उपाय सामने थे.

प्रभु केजरीवाल का वाहन - आम गिरगिट

पहला उपाय - प्रभु केजरी के वाहन 'गिरगिट' के साथ लाल,पीने, नीले और हरे रंग में सेल्फ़ी
दूसरा उपाय - 1000 लोगों पे अलग अलग तरीके के आरोप लगा के भागना
तीसरा उपाय - प्रभु केजरीवाल के गाये गए ऑस्कर विनिंग भजन " इंसान का इंसान से हो भाईचारा" को बिना रुके हैडफ़ोन पे 10 बार सुनना.

दुर्योधन "कॉर्पोरेट टाइप" आदमी निकला. उसने दूसरा उपाय चुना ताकि लोगो से नेटवर्किंग हो जाये जो आगे चल के काम आये और काम ना आये तो बस कहने को हो कि 1000 लोगों को जानता है.


खैर , 1000 में से 300 लोगों से मार खाने के बाद आखिरकार तपस्या पूरी हुई और XXL साइज का स्वेटर , बिना बेल्ट के एक ढीली से पेंट , काला मफलर और सैंडल धारण किये हुए एक बहुत ज्यादा आम सा दिखने वाला आदमी गिरगिट के ऊपर बैठ कर धरती पर अवतरित हुआ. सारी रणभूमि "आम आदमी ज़िंदाबाद" , "5 साल केजरीवाल" और "यही तो स्कैम है जी"  के नारों से गूंज उठी. अरे यही तो प्रभु केजरीवाल थे! संजय जो धृतराष्ट्र को महाभारत का आँखों देखा हाल बता रहे थे , आम आदमी के भगवान की ऐसी दयनीय हालत देख के उनकी आँखें भर आई और वो भी "5 साल केजरीवाल" का नारा लगाने से खुद को रोक नहीं पाये.


आम आदमी के रूप में प्रकट होते प्रभु केजरीवाल



प्रभु केजरीवाल ने दुर्योधन को "ईमानदारी का सर्टिफिकेट" देते हुए कहा " हे दुर्योधन ! हमने तुम्हारी जांच अपने "लोकपाल" से ही करवा ली है तुम लालू जी से भी ज्यादा ईमानदार हो और आज से हम तुम्हारे साथ हैं!" ये आम आदमी की लड़ाई है. हम और तुम कौन हैं जी .. आम आदमी ही तो हैं.  और इस तरह से प्रभु केजरीवाल ने "आम ज्ञान" देके सबको धन्य किया.

 शकुनि मामा ने चालाकी दिखाते हुए प्रभु केजरीवाल से लड़ाई की "जनरल टर्म्स एंड कंडीशन" के तहत 420 रुपए के बांड "नो यू टर्न" पर दस्तखत ले लिए. लेकिन प्रभु केजरीवाल के आरोपों से कौन भाग पाया है ? प्रभु ने 370 पेजों वाली शीला दीक्षित वाली रिपोर्ट का हवाला देते हुए बांड पेपर को नकली बताया और टर्म्स एंड कंडीशंस कहीं भी "संविधान" में नहीं लिखा है कह कर पेपर जला दिया. प्रभु के इस अद्भुत चमत्कार को देख के शकुनि मामा और दुर्योधन ने अपने आप को प्रभु के चरणों में समर्पित कर दिया और उनके "आंतरिक लोकपाल" में शामिल होने की इच्छा जताई. प्रभु ने "खांस" कर मना कर दिया.

टर्म्स एंड कंडीशंस के पेपर जलाते प्रभु केजरीवाल



तभी ये क्या ? प्रभु ने देखा कि आधी सेना तो उनके कंट्रोल में ही नहीं है और वो पांडवों की तरफ से लड़ रही है .बस फिर क्या था प्रभु पूर्ण स्वराज के साथ पूरी सेना की मांग लेके धरने पे बैठ गए. प्रभु का धरना एक योगी की तपस्या से भी लम्बा होता है. सब धरने के खत्म होने के इन्तेजार में थे.............

प्रभु के धरने में बैठते ही धरती हिलने लगी , भूचाल सा आ गया ... तभी चेहरे पे चटाक एक तमाचा पड़ा और मम्मी
चिल्लाई - उठ जा अब नहीं तो बिस्तर समेत बाहर फेंकती हूँ.

दर्द हुआ लेकिन बड़ा सुकून मिला कि अभी कलयुग चल रहा है और द्वापर तो पहले ही समाप्त हो गया है जिसमे पांडव ही जीते थे और भगवान श्री कृष्ण ने ही गीता ज्ञान दिया था.
तभी पता नहीं किसने कान में चुपके से कहा " यही तो स्कॅम था जी " ;)


  - रोहित जोशी उदास "आम अादमी"