नरेंद्र मोदी , एक ऐसा नाम जिसे समझने में बहुत से लोगो ने बहुत जल्दी करी और उस समझ को अपने पास रख लिया, कुछ ने दूर से समझा,कुछ ने समझने के बाद उसे नासमझने का भरपूर प्रयास किया और कुछ ने समझने का प्रयास ही नहीं किया!
एक प्रयास किया है नरेंद्र मोदी या कहें किसी को भी परखने के लिए "समझ की सीमाएं" खींचने का! बादलों , समंदर और पर्वतों के द्वारा !
नारंगी बादलों की टोली देखी!
काला,सफ़ेद,भूरा बादल आज नारंगी रंग में मदमस्त झूम रहा है!
शायद परेशान है शायद खुश!
किसे पता?
सिर्फ चेहरा ही, पहचान नहीं होता !
समंदर की लहरें,आज कुछ ज्यादा गुस्से में थी,
शायद नाराज़ थी शायद प्यार में,
किसे पता?
कुछ पल का हिसाब ही , अंजाम नहीं होता!
दूर से नज़र पहाड़ पे पड़ी,कठोर विशाल, भयानक!
लेकिन मिट्टी,पेड़, झरना और फूल सब कुछ समेटे हुए
शायद बाहर से कठोर ,शायद अंदर से मुलायम?
किसे पता?
पत्थर हमेशा कठोरता का प्रमाण नहीं होता !
सिर्फ चेहरा ही, पहचान नहीं होता !
कभी देखने में दिक्कत हो तो जरुरी नहीं कि नज़र ही ख़राब हो , आईने में धूल भी जमी हो सकती है!
- रोहित जोशी